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"इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,<br /> | हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,<br /> | ||
हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।<br /> | हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।<br /> | ||
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आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।<br /> | आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।<br /> |
12:00, 28 अगस्त 2010 का अवतरण
इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,
दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया ।
हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,
हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।
शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नमक छिड़का,
आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।