भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पांव पैदल और कितनी दूर / रामकृष्‍ण पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामक‍ृष्‍ण पांडेय |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> पांव-पैद…)
 
छो (पांव पैदल और कितनी दूर / रामक‍ृष्‍ण पांडेय का नाम बदलकर पांव पैदल और कितनी दूर / रामकृष्‍ण पांडेय क)
(कोई अंतर नहीं)

04:32, 29 अगस्त 2010 का अवतरण

पांव-पैदल और कितनी दूर
थक गयी है देह थक कर चूर

थक गए हैं
चांद-तारे और बादल
पेड़-पौधे,वन-पत्तियां,
नदी, सागर
थक गयी धरती
समय भी थक गया भरपूर

नहीं कोई गांव,
कोई ठांव,कोई छांव
थक गयी है
जिंदगी बेदांव
और उस पर
धूप,गर्मी,शीत,वर्षा क्रूर

पांव-पैदल और कितनी दूर ...