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"दूब / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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अकेला हूँ आओ! | अकेला हूँ आओ! |
23:10, 22 मई 2007 का अवतरण
रचनाकारः शमशेर बहादुर सिंह
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मोटी, धुली लॉन की दूब,
- साफ़ मखमल की कालीन।
- साफ़ मखमल की कालीन।
ठंडी धुली सुनहरी धूप।
हलकी मीठी चा-सा दिन,
मीठी चुस्की-सी बातें,
मुलायम बाहों-सा अपनाव।
पलकों पर हौले-हौले
तुम्हारे फूल से पाँव
- मानो भूलकर पड़ते
- हृदय के सपनों पर मेरे!
- मानो भूलकर पड़ते
अकेला हूँ आओ!