भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पहाड़ की याद / गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा' |संग्रह= }}‎ [[Category:कुमा…)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
ओ हो रेऽऽऽऽ, आय हाय रेऽऽऽ,
 
ओ हो रेऽऽऽऽ, आय हाय रेऽऽऽ,
 
ओ दिगौ लाली।
 
ओ दिगौ लाली।
छानी-खरिक में धुंआ लगा है,
+
छानी-खरिक में धुआँ लगा है,
 
ओ हो रे, आय हाय रे,
 
ओ हो रे, आय हाय रे,
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽ, ओ दिगौ लाली।
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽ, ओ दिगौ लाली।
  
 
ठंगुले की बाखली, किलै पंगुरै है,
 
ठंगुले की बाखली, किलै पंगुरै है,
द्वि-दां कै द्वि धार छूटी है।
+
द्वि-दाँ कै द्वि धार छूटी है।
 
और दुहने वाली का हिया भरा है,
 
और दुहने वाली का हिया भरा है,
 
ओ हो रेऽऽऽऽ आय हाय रेऽऽऽऽ
 
ओ हो रेऽऽऽऽ आय हाय रेऽऽऽऽ
पंक्ति 30: पंक्ति 30:
 
गन्ध निराली...।
 
गन्ध निराली...।
  
कांसे की थाली सा चांद तका है,
+
काँसे की थाली सा चाँद तका है,
 
ओ ईजाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ओ दिगौ लाली।
 
ओ ईजाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ओ दिगौ लाली।
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽ शाम निराली,
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽ शाम निराली,
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽ सांझ जून्याली।
+
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽ साँझ जून्याली।
 
जौयां मुरुली का शोर लगा है,
 
जौयां मुरुली का शोर लगा है,
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽ लागी कुत्क्याली।
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽ लागी कुत्क्याली।
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽओ दिगौ लाली...........!
 
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽओ दिगौ लाली...........!
 
</poem>
 
</poem>

15:06, 2 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

ओ हो रेऽऽऽऽ, आय हाय रेऽऽऽ,
ओ दिगौ लाली।
छानी-खरिक में धुआँ लगा है,
ओ हो रे, आय हाय रे,
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽ, ओ दिगौ लाली।

ठंगुले की बाखली, किलै पंगुरै है,
द्वि-दाँ कै द्वि धार छूटी है।
और दुहने वाली का हिया भरा है,
ओ हो रेऽऽऽऽ आय हाय रेऽऽऽऽ
(देखिये! छाते से दूध बहने लगा है)
दुहने वाली का हिया भरा है,
ओ हो रे,
मन्दी धिनाली।

मुश्किल से आमा का चूल्हा जला है..
(चौमासा का दिन छन, झड़ पड़ रई, लाकड़ा-पातड़ा सब भिज रई)
मुश्किल से आमा का चूल्हा जला है,
गीली है लकड़ी, गीला धुंआ है,
साग क्या छौका कि पूरा गौं महका है,
ओ हो रे, आय हाय रेऽऽऽऽऽ
गन्ध निराली...।

काँसे की थाली सा चाँद तका है,
ओ ईजाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ओ दिगौ लाली।
ओ हो रेऽऽऽऽऽ शाम निराली,
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽ साँझ जून्याली।
जौयां मुरुली का शोर लगा है,
ओ हो रेऽऽऽऽऽ लागी कुत्क्याली।
ओ हो रेऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽओ दिगौ लाली...........!