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"आवाज़ आ रही है / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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जंगल के सिलसिलों मे कोई रास्ता तो होगा | जंगल के सिलसिलों मे कोई रास्ता तो होगा | ||
− | इतिहास ने | + | इतिहास ने कहीं भी जिनको जगह नहीं दी |
कुछ मेहरबान उन पर जुगराफिया तो होगा | कुछ मेहरबान उन पर जुगराफिया तो होगा | ||
− | पूजाघरों में कैसे ये दाग | + | पूजाघरों में कैसे ये दाग दिख रहे हैं |
− | + | ईश्वर भी कुछ क्षणों को थर्रा गया होगा | |
जो ज़िन्दगी के हक को नाहक बना रहे हैं | जो ज़िन्दगी के हक को नाहक बना रहे हैं | ||
उनके मुकाबले में कोई खड़ा तो होगा | उनके मुकाबले में कोई खड़ा तो होगा | ||
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08:22, 18 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
आवाज़ आ रही है तुमने सुना तो होगा
मजबूरियो के हक में कुछ फैसला तो होगा
विपरीत हैंहवाएँ, गुम हो गई दिशाएँ
जंगल के सिलसिलों मे कोई रास्ता तो होगा
इतिहास ने कहीं भी जिनको जगह नहीं दी
कुछ मेहरबान उन पर जुगराफिया तो होगा
पूजाघरों में कैसे ये दाग दिख रहे हैं
ईश्वर भी कुछ क्षणों को थर्रा गया होगा
जो ज़िन्दगी के हक को नाहक बना रहे हैं
उनके मुकाबले में कोई खड़ा तो होगा