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दूर सुनसान- से साहिल के क़रीब | दूर सुनसान- से साहिल के क़रीब | ||
इक जवाँ पेड़ के पास | इक जवाँ पेड़ के पास | ||
उम्र के दर्द लिए, वक़्त का मटियाला दुशाला ओढ़े | उम्र के दर्द लिए, वक़्त का मटियाला दुशाला ओढ़े | ||
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सैंकड़ों सालों की तन्हाई के बाद | सैंकड़ों सालों की तन्हाई के बाद | ||
झुकके कहता है जवाँ पेड़ से: 'यार, | झुकके कहता है जवाँ पेड़ से: 'यार, |
19:29, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
दूर सुनसान- से साहिल के क़रीब
इक जवाँ पेड़ के पास
उम्र के दर्द लिए, वक़्त का मटियाला दुशाला ओढ़े
बूढ़ा - सा पाम का इक पेड़ खड़ा है कब से
सैंकड़ों सालों की तन्हाई के बाद
झुकके कहता है जवाँ पेड़ से: 'यार,
सर्द सन्नाटा है तन्हाई है ,
कुछ बात करो'