भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मां हम सबकी / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्‍ख / लीलाधर म…)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:02, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण


बचपन में सुनी थी
रानी दीमक की कहानी
रानी दीमक यानि रानी मां

मां हम सबकी भी
लेकिन रानी नहीं
न पति के राज में
न उसके बाद

उसके लिए तो
वृंदावन धाम जलता हुआ

जहां कृष्‍ण बांसुरी बजाता है