भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चोर / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर म…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:13, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
यह दुनिया छोड़ दी हमने
चोरों के भरोसे
क्योंकि चोरों को एक होने में
समय नहीं लगता
और ईमानदार कभी
एक नहीं होते