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"रात / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

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14:18, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण


करवटें बदलते हुए अमूमन
रात बीत जाती है

कोई एक विचार आ धमकता है भयानक
और एक बेचैन नदी का शोर
सुनाई पड़ता है रात भर
पत्‍नी की सांसों में

बिल्‍ली के रोने की आवाज में
एक रात और बीत जाती है