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"व्यतीत / वंशी माहेश्वरी" के अवतरणों में अंतर

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17:54, 29 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

समय
घड़ी की तरह
शायद दीवार में

दिनारम्भ की फड़फड़ाती चेतना के साथ सूर्य
रोज़ाना
रोज़ाना ही उतरता जाता रहा है

कितने समय से
पता नहीं

कितने समय से
ये भी पता नहीं
कौन व्यतीत हो रहा है
समय या मनुष्य !