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"वो एक खत है / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर

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उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
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उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है<br />
कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है
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कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है<br />
  
मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
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मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह<br />
मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है
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मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है<br />
  
वो एक खत है जिसे मैं छिपाये फिरता हूं
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वो एक खत है जिसे मैं छिपाये फिरता हूं<br />
जहां खुलूस की स्याही दिखाई देती है
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जहां खुलूस की स्याही दिखाई देती है<br />
  
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
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तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका<br />
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
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वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है<br />
  
वो एक बच्ची खिलौनों को तोड  कर सारे
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वो एक बच्ची खिलौनों को तोड  कर सारे<br />
बड़े सलीके से मां को सफाई देती है
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बड़े सलीके से मां को सफाई देती है<br />

09:37, 3 अक्टूबर 2010 का अवतरण

उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है

मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है

वो एक खत है जिसे मैं छिपाये फिरता हूं
जहां खुलूस की स्याही दिखाई देती है

तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है

वो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
बड़े सलीके से मां को सफाई देती है