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"वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर

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16:04, 4 अक्टूबर 2010 का अवतरण

नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।

ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।

फरक लड़के औ लड की में है बस महसूस करने का,
वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।

ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,
ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥