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"वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर
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पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।<br /> | पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।<br /> | ||
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वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।<br /> | वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।<br /> | ||
ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,<br /> | ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,<br /> | ||
ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥<br /> | ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥<br /> |
16:05, 4 अक्टूबर 2010 का अवतरण
नये घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
दिया बनकर वहीं से मां हमेशा रोशनी देगी।
ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम भाई,
पिता की याद आयेगी तो ये फिर से नमी देगी।
फरक लड़के औ लड़की में है बस महसूस करने का,
वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी।
ये मां से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,
ये गंगा है यही दुनिया को फिर से जिंदगी देगी॥