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"देश में लगी आग को / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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देश में लगी आग को
लफ्फाजी नेता
शब्दों से बुझाते हैं;
वाग्धारा से
ऊसर को उर्वर
और देश को
आत्म-निर्भर बनाते हैं;
लोकतंत्र का शासन
भाषण-तंत्र से
चलाते हैं।
रचनाकाल: ०९-१२-१९७७