भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनकी ख़ैरो-ख़बर नही मिलती / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:14, 29 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार: कुमार विश्वास
~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~
उनकी ख़ैरो-ख़बर नही मिलती
हमको ही खासकर नही मिलती
शायरी को नज़र नही मिलती
मुझको तू ही अगर नही मिलती
रूह मे, दिल में, जिस्म में, दुनिया
ढूंढता हूँ मगर नही मिलती
लोग कहते हैं रुह बिकती है
मै जहाँ हूँ उधर नही मिलती
कोई दीवाना कहता है (२००७) मे प्रकाशित