भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अपनी हथेलियों में / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=मार प्यार की थापें / के…) |
छो ("अपनी हथेलियों में / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:55, 17 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
अपनी हथेलियों में
अपने अस्तित्व के
चावल लिए,
चोंच मारती
चिड़ियों को चुगाता है;
दूसरों के लिए
जीने का
नाटक रचाता है।
संस्कार-बद्ध आदमी,
बस,
यहीं तक जाता है;
सम्पत्ति के
जठर सम्बंध
नहीं तोड़ पाता है,
सुख-भोग
नहीं छोड़
पाता है।
रचनाकाल: २४-०८-१९७८