भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फूल हम आस के आँखिन में उगावत बानी / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} Category:ग़ज़ल <poem> फूल हम आस के आँखिन मे…)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:05, 28 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण


फूल हम आस के आँखिन में उगावत बानी
लोर से सींच के सपनन के जियावत बानी

प्रीत के रीत गजब रउआ निभावत बानी
घात मन में बा, मगर हाथ मिलावत बानी

रूप आ रंग के हम छंद में बान्हत-बान्हत
साँस पर साध के अब गीत कढ़ावत बानी

आजले दे ना सकल पेट के रोटी कविता
तबहूँ हम गीत-गजल रोज बनावत बानी

पेट में आग त सुनुगल बा रहत ए 'भावुक'
खुद के लवना के तरे रोज जरावत बानी