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"मन के चउकठ पर धइल बाटे दिया उम्मीद के / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर

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मन के चउकठ पर धइल बाटे दिया उम्मीद के
भुकभुकाते बा बरत अबले दिया उम्मीद के

रोशनी के राह देखत रात पागल हो गइल
लफलफाते रह गइल, यारे, दिया उम्मीद के

सब उजाला खात बाटे बीच राहे में महल
ना जरी लागत बा मड़ई के दिया उम्मीद के

लोग कइसे ओह जगह पर जी रहल बाटे, जहाँ
भोर के नइखे किरन, नइखे दिया उम्मीद के

मन बहुत लरियाह हऽ, सोचे ना कवनो बात के
ई त बाते-बात पर बारे दिया उम्मीद के

जिन्दगी के हर लड़ाई शान से लड़ते रहब
प्राण में जबले जरत बाटे दिया उम्मीद के