भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हर कदम जीये-मरे के बा इहाँ / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} Category:ग़ज़ल <poem> हर कदम जीये-मरे के बा इ…)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:20, 29 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

KKGlobal}}


हर कदम जीये-मरे के बा इहाँ
साँस जबले बा लड़े के बा इहाँ

जिन्दगी जीये के मकसद खोज के
ख्वाब के मोती जड़े के बा इहाँ

स्वर्ग इहवें बा,नरक बाटे इहें
जे करे के बा, भरे के बा इहाँ

फूल में तक्षक के संशय हर घरी
अब त खुशबू से डरे के बा इहाँ

जिन्दगी तूफान में एगो दिया
टिमटिमाते ही जरे के बा इहाँ

सुख के मोती ,सीप के अब खोज मे
दुख के दरिया तय करे के बा इहाँ

जिन्दगी के साँच बस बाटे इहे
एक दिन सभका मरे के बा इहाँ