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"काँट ही काँट बा जो डगर में / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर
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काँट ही काँट बा जो डगर में
फूल ही फूल राखीं नजर में
मन बना के ना देखीं उड़े के
जान अपने से आ जाई पर में
कुछ भरोसा त उनको प राखीं
जे बसल बाड़ें सबका जिगर में
देर होई मगर दिन ऊ आई
जब खुशी नाची आँगन में, घर में
हौसला, आस, विश्वास राखीं
होके निर्भय चलीं एह सफर में