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"पुल / विनोद स्वामी" के अवतरणों में अंतर

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सोए हुए देखता तो
 
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अपना शेर बदल देता ।
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होता अगर
 
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सबसे बड़ी
 
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खाट कहता ।
 
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फक्कड़
 
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जीवन का  
 
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सबसे बडा
 
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ठाट कहता।
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ठाट कहता ।
 
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21:08, 31 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

रात-भर
गुज़रती है दुनिया
इसके नीचे से
तीन सौ फिट लंबा
सात फिट चौड़ा
यह रेलवे पुल
शाम होते ही
उस भीखमंगे की
चारपाई बन जाता है ।

अगर ग़ालिब इसे
सोए हुए देखता तो
अपना शे'र बदल देता ।

सूर जो
देख पाता नहीं
मगर इस पर
ज़रूर कोई
नई बात कहता ।

यही पुल
होता अगर
कबीर के जमाने में
तो वह इसे
दुनिया की
सबसे बड़ी
खाट कहता ।

ई फक्कड़
इससे भी आगे कहता;
इस पुल पर
सोने को
जीवन का
सबसे बडा
ठाट कहता ।