भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<poem> | <poem> | ||
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ | ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ | ||
− | फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ सा कहूँ | + | फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ |
गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी | गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी | ||
− | सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ | + | सोया हुआ मंज़र<ref>दृश्य |
+ | |||
+ | </ref> कहूँ या जागता सपना कहूँ | ||
चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी | चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी | ||
− | जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या क्या कहूँ क्या न कहूँ | + | जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ |
</poem> | </poem> | ||
+ | {{KKMeaning}} |
18:00, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ
गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी
सोया हुआ मंज़र<ref>दृश्य
</ref> कहूँ या जागता सपना कहूँ
चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ
शब्दार्थ
<references/>