भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"औ'ळमौ / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | ||
− | {{ | + | {{KKCatKavita}} |
<poem> | <poem> | ||
पांच बरसां री बेटी मानसी | पांच बरसां री बेटी मानसी |
02:16, 17 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
पांच बरसां री बेटी मानसी
केठा क्यूं निराज है
घर रै अेक खु'णै में खड़ी
मन्नै देखतांईं फूट पड़ी
पापा, आपरी जोड़ायत नै समझाल्यौ
मन्नै लड़ती रै'वै
घर-घर खेलूं
तो कै'वै पढ
चित्र बणाऊं
तो कै'वै पढ
किणी सूं बात करूं
तो कै'वै पढ
का'णी सुणाण रौ कै'वूं
तो कै'वै पढ
आखै दिन
पढ-पढ'ई क्यूं कै'वै मम्मी
मेरै सूं बात क्यूं कोनी करै मम्मी
समझाल्यौ आपरी जोड़ायत नै
म्हूं होयगी ईं सूं अबै कुट्टी
म्हूं कोनी इण री बेटी।