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जुवान बेटी / दीनदयाल शर्मा

1 byte added, 05:32, 17 नवम्बर 2010
उणां री फब्तियां सुणै
अर फेर भी
बा' कित्ती सै'रै'वै
पण
आपरै मन री पीड़ा
बा' किणी नै नीं कै'वै ।
</poem>
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