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"यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या
 
यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या
कटा ले मुफ़्त मे अपना गला क्या
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कटा लें मुफ़्त मे अपना गला क्या
  
मै तेरी ज़िन्दगी का इक वरक हूँ
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मैं तेरी ज़िन्दगी का इक वरक़
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हूँ
 
समझ रक्खा है मुझको हाशिया क्या
 
समझ रक्खा है मुझको हाशिया क्या
  
 
बुझा ली प्यास जो अपनी किसी ने  
 
बुझा ली प्यास जो अपनी किसी ने  
समन्दर इसमे तेरा घट गया क्या
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समन्दर इसमें तेरा घट गया क्या
  
 
शिकम की भूख की ख़ातिर जहाँ में  
 
शिकम की भूख की ख़ातिर जहाँ में  
खताएँ आदमी ने की हैं क्या-क्या
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अगर मकसद सुकूने-दिल है तो फ़िर
 
अगर मकसद सुकूने-दिल है तो फ़िर
हरम क्या है क्या और मयकूदा क्या
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हरम क्या है क्या और मयकदा क्या
  
फ़कीरों की दुआओं मे असर है
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फ़कीरों की दुआओं में असर है
 
अमीरों की दुआ क्या बद्दुआ क्या
 
अमीरों की दुआ क्या बद्दुआ क्या
  

07:48, 18 नवम्बर 2010 का अवतरण

यहाँ सच बोलने से फ़ायदा क्या
कटा लें मुफ़्त मे अपना गला क्या

मैं तेरी ज़िन्दगी का इक वरक़
 हूँ
समझ रक्खा है मुझको हाशिया क्या

बुझा ली प्यास जो अपनी किसी ने
समन्दर इसमें तेरा घट गया क्या

शिकम की भूख की ख़ातिर जहाँ में
ख़ताएँ आदमी ने की हैं क्या-क्या

अगर मकसद सुकूने-दिल है तो फ़िर
हरम क्या है क्या और मयकदा क्या

फ़कीरों की दुआओं में असर है
अमीरों की दुआ क्या बद्दुआ क्या

हमारा क़त्ल ही करना है तुमको
तो फ़िर खंजर उठाओ, सोचना क्या

मेरी साँसो मे ख़ुशबू घुल रही है
मेरे एहसास को तुमने छुआ क्या

वो मंज़र तुम जो पीछे छोड़ आए
उन्हे मुड़-मुड़ के ’बेख़ुद’ देखना क्या