भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";रागविराग / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavitaKKCatNavgeet}}
<poem>
:::(गीत):कहा जो न, कहो!
नित्य - नूतन, प्राण, अपने
::: गान रच-रच दो!:विश्व सीमाहीन;
बाँधती जातीं मुझे कर कर
व्यथा से दीन!
कह रही हो--"दुःख की विधि--
यह तुम्हें ला दी नई निधि,
विहग के वे पंख बदले,--
::: किया जल का मीन;
मुक्त अम्बर गया, अब हो
::: जलधि-जीवन को!":सकल साभिप्राय;
समझ पाया था नहीं मैं,
::: थी तभी यह हाय!
दिये थे जो स्नेह-चुम्बन,
आज प्याले गरल के घन;
कह रही हो हँस--"पियो, प्रिय,
::: पियो, प्रिय, निरुपाय!
मुक्ति हूँ मैं, मृत्यु में
::: आई हुई, न डरो!"
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,328
edits