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|रचनाकार=श्रीकांत वर्मा |संग्रह=भटका मेघ/ श्रीकांत वर्मा }} {{KKCatKavitaKKCatKavita}}
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दूर उस अँधेरे में कुछ है, जो बजता है
शायद वह पीपल है।है ।
वहाँ नदी-घाटों पर थक कोई सोया है
दीप बाल कोई, रतजगा यहाँ करता है
शायद वह निष्ठा है।है ।
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