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"म्हारै चितराम नै नीं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>म्हारै मनै
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म्हारै मनै
 
किणी ऊणै-खूणै में
 
किणी ऊणै-खूणै में
 
साव नागी-उघाडी बैठी तूं  
 
साव नागी-उघाडी बैठी तूं  

22:30, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण

म्हारै मनै
किणी ऊणै-खूणै में
साव नागी-उघाडी बैठी तूं
लागै अणहद रूपाळी

कागद माथै कलम सूं
चितारियो थारो रूप
जग में हुई चावी तूं
देखै अर सरावै लोग-
रूप-रंग-उणियारो
   अंगां रा मोड़
रंग सागै रंग रो जोड़

म्हारै चितराम नै नीं
थनै ई सरावै बै
तूं ई बैठी है
सगळां रै मनां में
किणी-न-किणी ठौड
साव नागी-उघाड़ी !