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"ओळभो / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>आभै रै आंगणै  
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आभै रै आंगणै  
 
गरजतै-तरजतै लोरां रो
 
गरजतै-तरजतै लोरां रो
 
हाको सुण जागी  
 
हाको सुण जागी  

22:32, 25 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

आभै रै आंगणै
गरजतै-तरजतै लोरां रो
हाको सुण जागी
पीड़ दाब्यां पसवाड़ो फोरियां सूती धरती

सूरमा रै सत्कार नै संभी
पण औ कांई
दो छांटां पछै
पून सागै बूहा गया लोर

दब्योड़ी तिरस जाग्यां पछै
भाभड़ाभूत हुयोड़ी धरती
दियो एक ई ओळभो-
सरधा नीं हुवै तो
बकारया ना आगै सारू !