भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लुगाई : एक / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>जुगां सूं चालती अमर आसीस सागै थारै- दूधां न्हावो : पूतां फळो ! …)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>जुगां सूं चालती  
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=साँवर दइया
 +
|संग्रह=हुवै रंग हजार / साँवर दइया
 +
}}
 +
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<Poem>
 +
जुगां सूं चालती  
 
अमर आसीस सागै थारै-
 
अमर आसीस सागै थारै-
 
     दूधां न्हावो : पूतां फळो !
 
     दूधां न्हावो : पूतां फळो !

22:46, 25 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

जुगां सूं चालती
अमर आसीस सागै थारै-
     दूधां न्हावो : पूतां फळो !

आयै बरस
बंस बधावै तूं
बिरछ बणै थारा बीज
सूखै-छीजै तूं
धुखै छाणै दांई

सवाई हुई बाड़ी में
तूं अकेली !
साव एकली तूं !!