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"जवानी : बुढ़ापो / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>हां S, बा आवती दीसी तो सरी पण ठैरी कोनी अळघै सूं ई निसरगी दे झोलो …) |
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बा आवती दीसी तो सरी | बा आवती दीसी तो सरी | ||
पण ठैरी कोनी | पण ठैरी कोनी |
22:49, 25 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
हां ऽऽ,
बा आवती दीसी तो सरी
पण ठैरी कोनी
अळघै सूं ई निसरगी
दे झोलो
ले ओलो
लोग कैवै-
जवानी ही बा !
पण म्हारै कनै तो है अबै
सळां भरी चामड़ी
गूगळी दीठ
पींडियां में सरणियां
बूकीया में चबका
म्हैं जाणू-
बुढापो है ओ !