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"एक रात का खंडित स्वप्न हैं या / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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17:39, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण
एक रात का खंडित स्वप्न हैं या दिन का टूटा विश्वास हैं हम ।
क्या पूछते हो क्या बतलाएं, एक भूला हुआ इतिहास हैं हम।
हमें दिल से जरा महसूस करो, एक दर्द भरा एहसास हैं हम।
कभी एक समंदर थे लेकिन, अब रेगिस्तान की प्यास हैं हम।