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"वो बहुत बेज़ुबान है लेकिन / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर

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21:39, 30 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

वो बहुत बेज़ुबान है लेकिन
उसकी चुप्पी बयान है लेकिन

चैन की नींद सो तो जाता मै
घर में बेटी जवान है लेकिन

शेख जी मुब्तिला हैं सजदे में
उनका मुजरे में ध्यान है लेकिन

मैं भी पत्थर उछाल तो देता
काँच का हर मकान है लेकिन

मैं परिंदा हूँ पर कटा यारो
मेरी ऊँची उड़ान है लेकिन

मेरा किरदार है बुलंद बहुत
हर क़दम पे ढलान है लेकिन