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"कविता रै औळे-दौळै / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर
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आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |संग्रह=म्हारी पाँती री चितावां…) |
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भायलो कैवे | भायलो कैवे | ||
बावळो हुग्यो कांई | बावळो हुग्यो कांई | ||
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बैठ्यो | बैठ्यो | ||
आव घुम‘र आवां | आव घुम‘र आवां | ||
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किंया समझावूं | किंया समझावूं | ||
गुवाड़ तो गुवाड़ म्हैं तो घूम लेवूं | गुवाड़ तो गुवाड़ म्हैं तो घूम लेवूं | ||
आखै जग में कविता रै औळे-दौळै | आखै जग में कविता रै औळे-दौळै | ||
− | एकलो बैठयो | + | एकलो बैठयो ई । |
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22:24, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण
भायलो कैवे
बावळो हुग्यो कांई
कांई सोचै है
बैठ्यो
आव घुम‘र आवां
गुवाड़ में ।
किंया समझावूं
गुवाड़ तो गुवाड़ म्हैं तो घूम लेवूं
आखै जग में कविता रै औळे-दौळै
एकलो बैठयो ई ।