गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दस दोहे (01-10) / चंद्रसिंह बिरकाली
1 byte added
,
16:34, 1 दिसम्बर 2010
"[[दस दोहे (01-10) / चंद्रसिंह बिरकाली]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
आतां देखै उंतवाली हिवडै़ हुयो हुळास।
सिर पर सूकी जावतां छूटी जीवण
आस।। 10।।
आस ।।10।।
तुम्हें द्रुतगति से आती देख ह्दय में हुलास हुआ, पर सिर पर से सूखी ही जाते समय जीवन की आशा छूट रही
है।
है ।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,623
edits