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और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल

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|नाम=और कब तक चुप रहें (ग़ज़ल-संग्रह)
|रचनाकार=[[कुमार अनिल]]
|प्रकाशक= Navdha नवधा प्रकाशन
|वर्ष= 2005
|भाषा=हिन्दी
|विविध=--
}}
* [[और कब तक चुप रहें (कविता) / कुमार अनिल]]
* [[बने हुए हैं इस नगरी में / कुमार अनिल ]]
* [[हर शख्स है लुटा -लुटा / कुमारअनिल ]]
* [[हर तरफ इक सनसनी है / कुमार अनिल]]
* [[मैं बनाने चला हूँ वो इक आशियाँ / कुमार अनिल]]
* [[बड़ा अजीब -सा मंजर मंज़र दिखाई देता है / कुमार अनिल]]
* [[ठहरा है झील का पानी तो उठा लो पत्थर / कुमार अनिल]]
* [[जितने भी लोग मुझे कल सरे बाज़ार मिले / कुमार अनिल]]
* [[वो शख्स एक समंदर जो सबको लगता था / कुमार अनिल]]
* [[कौन किसको क्या बताये बताए क्या हुआ / कुमार अनिल]]
* [[व्यक्ति का आचरण विषैला है / कुमार अनिल]]
* [[पत्थर बचे है एक भी शीशा नहीं बचा / कुमार अनिल]]
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