भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बच्चा अपने सपनों में राक्षस नहीं होता / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद कोकास |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बच्चों की दुनिया म…)
 
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
लट्टू की तरह
 
लट्टू की तरह
 
फिरकियाँ लेता उत्साह
 
फिरकियाँ लेता उत्साह
 
  
 
वह अपनी कल्पना में
 
वह अपनी कल्पना में
पंक्ति 21: पंक्ति 20:
 
नन्हा बालक भरत
 
नन्हा बालक भरत
 
या उसे मज़ा चखाने वाला खरगोश
 
या उसे मज़ा चखाने वाला खरगोश
 
  
 
लेकिन कभी भी
 
लेकिन कभी भी

20:54, 6 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

बच्चों की दुनिया में शामिल हैं
आकाश में
पतंग की तरह उड़ती उमंगें
गर्म लिहाफ़ में दुबकी
परी की कहानियाँ
लट्टू की तरह
फिरकियाँ लेता उत्साह

वह अपनी कल्पना में
कभी होता है
परीलोक का राजकुमार
शेर के दाँत गिनने वाला
नन्हा बालक भरत
या उसे मज़ा चखाने वाला खरगोश

लेकिन कभी भी
बच्चा अपने सपनों में
राक्षस नहीं होता ।