भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हर दम दुआएँ देना / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[जिगर मुरादाबादी]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:जिगर मुरादाबादी]]
+
|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
[[Category:गज़ल]]
+
|संग्रह=
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
 
+
 
हर दम दुआएँ देना हर लम्हा आहें भरना <br>
 
हर दम दुआएँ देना हर लम्हा आहें भरना <br>
 
इन का भी काम करना अपना भी काम करना <br><br>
 
इन का भी काम करना अपना भी काम करना <br><br>
पंक्ति 13: पंक्ति 11:
  
 
जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने <br>
 
जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने <br>
जीना उंहीं का जीना मरना उंहीं का मरना <br><br>
+
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना <br><br>
  
 
हरियाली ज़िन्दगी पे सदक़े हज़ार जाने <br>
 
हरियाली ज़िन्दगी पे सदक़े हज़ार जाने <br>

11:19, 12 मई 2009 के समय का अवतरण

हर दम दुआएँ देना हर लम्हा आहें भरना
इन का भी काम करना अपना भी काम करना

याँ किस को है मय्यसर ये काम कर गुज़रना
एक बाँकपन पे जीना एक बाँकपन पे मरना

जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना

हरियाली ज़िन्दगी पे सदक़े हज़ार जाने
मुझको नहीं गवारा साहिल की मौत मरना

रंगीनियाँ नहीं तो रानाइयाँ भी कैसी
शबनम सी नाज़नीं को आता नहीं सँवरना

तेरी इनायतों से मुझको भी आ चला है
तेरी हिमायतों में हर-हर क़दम गुज़रना

कुछ आ चली है आहट इस पायनाज़ की सी
तुझ पर ख़ुदा की रहमत ऐ दिल ज़रा ठहरना

ख़ून-ए-जिगर का हासिल इक शेर तक की सूरत
अपना ही अक्स जिस में अपना ही रंग भरना