भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पै यह तरसन-सरसन मोहन! आपुहि में हम मानी॥5॥
</poem>
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits