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कार्यक्रम की शुरुआत में सर्वप्रथम डा. राकेश कुमार ने [[मैथिलीशरण गुप्त]] के व्यक्तित्व और उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होनें बताया कि कैसे सर्वप्रथम उन्होनें अपनी पहली रचना प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका [[सरस्वती पत्रिका|'सरस्वती']] में भेजी; और अपना नाम उसमें रसिकेन्द्र (ऋषिकेन्द्र) लिख भेजा था। सरस्वती के उस समय के संपादक [[महावीर प्रसाद द्विवेदी|आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी]] ने [[ब्रज भाषा]] में लिखी उनकी रचना को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह परिवर्तन का समय है और अब बोलचाल की भाषा का समय है और ऐसी रचनाएँ छपा करेंगीं।