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पर ये चरण, कौन कहता है
अपनी गति में रुक जावेंगे,
जिन प्र पर अग-जग झुकता है
वे मेरे खातिर झुक जावेंगे?
अर्पण? और उधार करूँ मैं?
’हारों, ’हारों’ का यह दाम? लुटी मैं!
यह चरण ध्वनि धीमे-धीमे!
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