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इंतज़ार की रात / इब्ने इंशा

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वो फ़ज़ा मुस्कराई, लेकिन दिल
डूबता जा रहा है - जाने क्यों ?
</poem>
उफ़क़=क्षितिज; जबीं=मस्तक
 
(रचनाकाल : 1945)
</poem>
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