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"पालणौ / सत्यप्रकाश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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17:00, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

म्हांनै साथणियां मोसा मारती ओ
कोई नैण नचाती ब्रिज री नार
जमना में धसमस ऐडी धोवतां।

बरजती स्यांणी भौजायां बरजती
बोलती पाड़ोसण म्हांनै बोल
जद म्हैं आती रै थारै बारणै।

टोकती सवासणियां म्हांनै टोकती
कूवै मुळकाती रे पिणियार
जद म्हैं सुणती थारी बांसरी।

मावड़ री आंख्यां मोती दमका
सुपनां में आता आळ जंजाळ
जद म्हैं चढ़ियोड़ी नदियां लांघती।

कांकड़ में गायां तांबाड़ती
रिड़कारा देती भूरी झोट
जद म्हैं बिरछां री डाळां लूमती।

पगां में गड़ता म्हारै कांकरा
चुभता ओ चुभता म्हारै सूळ
लुकती जद म्हैं खेतां री बाड़ में।

डरती ओ डरती बन में धूजती
हथेळियां ढंकती म्हारा कांन
जद म्हैं कुबेळा बाट उडीकती।

आंधै अंधारै बादळ गरजता
धारोळा ओसरता चौफेर
आखै चौमासै भीजी एकली।

तोई नीं पूरीजी म्हारी साध
आज अडोळी म्हारी प्रीत
आज अलूणी म्हारी गोद
करम मो मांडया वेमाता झूरणा।

बन बन भटकूं रे एकली
हेरूं कोई चन्नण केरौ रूंख
सौरम तो च्यारूं कूंटा संचरै।
सोवन कवाड़ी हाथां वाढस्यूं
वाढ घड़ाऊं रतन जड़ाव
पालणै झुलाऊं थारी प्रीत नै।

असवाड़ै पसवाड़ै सोनल घूघरा
झोटा देवण नै रेसम डोर
हालरियो हुलराऊं थारी प्रीत नै।

थुथकौ न्हाखूं ओ मीठै मुळकणै
वारूं ओ वारूं नौ मण लूण
बांधूं ओ काळा डोरा प्रीत रै।

मारै किलकारी म्हारौ पालणौ
रोवै पालणियै म्हारी प्रीत
रूणझुण खुणखुणिया बाजै सोवणा।

दूधां कद भीजै म्हारी कांचळी
कद म्हारै कांधै पड़सी लाळ
कद तौ धोऊंला पीळा पोतड़ा।

प्रीतड़ली निरफळ म्हारै भाग
कोई सूंण तौ अपसूंण म्हारै होय
करम तौ मांडया वेमाता झूरणा।