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"मेरा गाँव / सतीश छींपा" के अवतरणों में अंतर

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डांडी चालतो,
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टीबों के बीच से निकलती पगडण्डी पर
रैवै
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ऊँट गाड़ा ले
डांडी सूं अणजाण
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निकल पडते है किसान खेतों के लिए
किनारै-किनारै चालै
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गाडे पर बंतल करती औरते
पण है बो अणजाण
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डोका चूसते बच्चे
आ कोनी जाणै कै
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हँसी-ठिठोली
कठै टिब्बां
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चुगली-चपटी
जिनावर मिलसी
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गाना-गुनगुनाना
कठै ढाणी
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चिंताए
कठै पाणी मिलसी ?
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कळी  का सुट्टा
होळै-होळै
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उड़ता धुंआ
डांडी चालतो
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खून के साथ बहता है जीवन
रैवै डांडी सूं अणजाण !
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ट्यूबेल पर टेर लगाते
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हाळी की आँखों में
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बोरड़ी के भाटा मारते बच्चों की शरारत में
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लड़कियों के गुलाबी होंटो पर
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फिसल जाता है जीवन
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गिनाणी में ठीकरी तिराते बच्चे
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सूदखोरों को जवाब देते
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हिम्मती किसान
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आधी रात
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खेतों में छिप
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प्रेम करते जोड़े
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हाळी का भाता लाती धिराणी की चाल में
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उलझ-उलझ जाता है जीवन
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पंचायत के बजट में हेर-फेर
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सरपंच की हवेली
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हवेली की छाँव में झोंपड़ी
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ठण्ड़ा चूल्हा
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पिचके पेट
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सिल्ला चुगते बच्चों के लीरमलीर कपड़ों में
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उड़-उड़ जाता है जीवन
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नीम पर झूला-झूलती नवयोवनाएँ
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शोषण के विरूद्ध लामबद्ध युवा
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दुनिया जीतने का जज्बा
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रखता है मेरा गाँव
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04:50, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

दिन ऊगने के साथ ही
जीवन दौड़ने लगता है यहाँ
टीबों के बीच से निकलती पगडण्डी पर
ऊँट गाड़ा ले
निकल पडते है किसान खेतों के लिए
गाडे पर बंतल करती औरते
डोका चूसते बच्चे
हँसी-ठिठोली
चुगली-चपटी
गाना-गुनगुनाना
चिंताए
कळी का सुट्टा
उड़ता धुंआ
खून के साथ बहता है जीवन
ट्यूबेल पर टेर लगाते
हाळी की आँखों में
बोरड़ी के भाटा मारते बच्चों की शरारत में
लड़कियों के गुलाबी होंटो पर
फिसल जाता है जीवन
गिनाणी में ठीकरी तिराते बच्चे
सूदखोरों को जवाब देते
हिम्मती किसान
आधी रात
खेतों में छिप
प्रेम करते जोड़े
हाळी का भाता लाती धिराणी की चाल में
उलझ-उलझ जाता है जीवन
पंचायत के बजट में हेर-फेर
सरपंच की हवेली
हवेली की छाँव में झोंपड़ी
ठण्ड़ा चूल्हा
पिचके पेट
सिल्ला चुगते बच्चों के लीरमलीर कपड़ों में
उड़-उड़ जाता है जीवन
नीम पर झूला-झूलती नवयोवनाएँ
शोषण के विरूद्ध लामबद्ध युवा
दुनिया जीतने का जज्बा
रखता है मेरा गाँव