गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आँधी आई / मोहम्मद साजिद ख़ान
1 byte added
,
16:30, 19 जनवरी 2011
खिड़की बंद की तत्काल,
लेकिन धूल पड़ी आँखों में
टिन्नू जी रोए
बेहाल।
बेहाल ।
बिजली गुल हो गई,न जाने
कौन घड़ी ।।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,818
edits