भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पडूत्तर / भंवर भादाणी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी }} [[Catego…) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=भंवर भादाणी | + | |रचनाकार=भंवर भादाणी |
− | |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी | + | |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी |
}} | }} | ||
− | |||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
− | < | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
− | + | <poem> | |
बधतो जावै है | बधतो जावै है | ||
आंतरो-हररोज | आंतरो-हररोज | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 32: | ||
काढण सारू | काढण सारू | ||
घांटां उळझ्योड़ा | घांटां उळझ्योड़ा | ||
− | + | पडूत्तर। | |
− | + | ||
</Poem> | </Poem> |
16:44, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
बधतो जावै है
आंतरो-हररोज
सवालां अर उत्तर-पडूतरां
बिच्चै।
हररोज चालै है भतूळिया
सवालां री धोबी-पिंछाट सारू
उठै है च्यारूंमेर
काळी कळूट जामण
खुलियौड़ी आंख्यां
बूरण खातर
चालै है तीर
डूंगरां रै बुरजा सूं
आंख्यां रा कोइया
बींधण सारू
चालै है
सबद-बेधी बाण
नूवां सवालां रा
गरभ पटकणा सारू
पण सेवट
सरू हूगी है
कवायद
उठण लागगी है
आंगळयां
काढण सारू
घांटां उळझ्योड़ा
पडूत्तर।