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"अन्धे जहान के अन्धे रास्ते / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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22:36, 15 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
अन्धे जहान के अन्धे रास्ते, जाएँ तो जाएँ कहाँ
दुनिया तो दुनिया तू भी पराया, हम यहाँ न वहाँ
जीने की चाहत नहीं, मर के भी राहत नहीं
इस पार आँसू, उस पार आहें, दिल मेरा बेज़ुबाँ
हमको न कोई बुलाए, न कोई पलकें बिछाए
ए ग़म के मारो, मंज़िल वहीं है, दम ये टूटे जहाँ
आगाज़ के दिन तेरा अंजाम तय हो चुका
जलते रहे हैं, जलते रहेंगे, ये ज़मीं-आसमाँ
फ़िल्म : पतिता-1953