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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[सिराज फ़ैसल ख़ान]]</td>
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</tr>
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</table>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
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रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है ।
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तुमको पत्थर मारेंगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
मुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है ।
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं
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<div style="text-align: center;">
इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है ।
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
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</div>
  
भारतवासी कुछ दिन से रूखी रोटी खाते हैं
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
पानी पीकर जीते हैं महँगी  सब तरकारी है ।
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
केवल सच्ची बातें करना बहुत बड़ी बीमारी है ।</pre>
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
<!----BOX CONTENT ENDS------>
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया