(नया पृष्ठ: शकूनादे शकूनादे काजये, आती नीका शकूना बोल्यां देईना , बाजन शंख शब…) |
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+ | ये वो शगुन के आखर हैं - जो कुर्मंचालीय संस्कृति में हर शुभ कार्य में बांचे जाते हैं. कुर्मांचल की परम्पराएं अनंत काल से शंख - घंट की ध्वनि एवं भरे हुए कलश को शगुन का पर्याय मानती आई हैं . कुल वधुओं के अखंड सौभाग्य एवं उनकी हरी - भरी गोद के प्रति अपनी समस्त शुभकामनाएं संजोए है यह शगुन गीत | ||
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शकूनादे शकूनादे काजये, | शकूनादे शकूनादे काजये, | ||
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आती नीका शकूना बोल्यां देईना , | आती नीका शकूना बोल्यां देईना , | ||
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बाजन शंख शब्द , | बाजन शंख शब्द , | ||
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देणी तीर भरियो कलश, | देणी तीर भरियो कलश, | ||
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यातिनिका, सोरंगीलो, | यातिनिका, सोरंगीलो, | ||
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पाटल आन्च्ली कमले को फूल सोही फूल मोलावंत गणेश, | पाटल आन्च्ली कमले को फूल सोही फूल मोलावंत गणेश, | ||
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रामिचंद्र लछीमन जीवा जनम आद्या अमरो होय, | रामिचंद्र लछीमन जीवा जनम आद्या अमरो होय, | ||
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सोही पाटो पैरी रैना , | सोही पाटो पैरी रैना , | ||
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सिद्धि बुद्धि सीता देही | सिद्धि बुद्धि सीता देही | ||
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बहुरानी आई वान्ती पुत्र वान्ती होय | बहुरानी आई वान्ती पुत्र वान्ती होय |
21:11, 23 मार्च 2011 के समय का अवतरण
ये वो शगुन के आखर हैं - जो कुर्मंचालीय संस्कृति में हर शुभ कार्य में बांचे जाते हैं. कुर्मांचल की परम्पराएं अनंत काल से शंख - घंट की ध्वनि एवं भरे हुए कलश को शगुन का पर्याय मानती आई हैं . कुल वधुओं के अखंड सौभाग्य एवं उनकी हरी - भरी गोद के प्रति अपनी समस्त शुभकामनाएं संजोए है यह शगुन गीत
शकूनादे शकूनादे काजये,
आती नीका शकूना बोल्यां देईना ,
बाजन शंख शब्द ,
देणी तीर भरियो कलश,
यातिनिका, सोरंगीलो,
पाटल आन्च्ली कमले को फूल सोही फूल मोलावंत गणेश,
रामिचंद्र लछीमन जीवा जनम आद्या अमरो होय,
सोही पाटो पैरी रैना ,
सिद्धि बुद्धि सीता देही
बहुरानी आई वान्ती पुत्र वान्ती होय