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"अपनी परिपाटी / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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वैसे तो हम | वैसे तो हम | ||
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पर नागों के दाँत | पर नागों के दाँत | ||
तोड़ना हमको आता है | तोड़ना हमको आता है | ||
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दिया न दुश्मन को | दिया न दुश्मन को | ||
तिल भर माटी | तिल भर माटी | ||
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सदाचार से | सदाचार से | ||
अपना बड़ा पुराना नाता है | अपना बड़ा पुराना नाता है | ||
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सीने पर गोली | सीने पर गोली | ||
मरते दम तक | मरते दम तक | ||
मुंह से निकली | मुंह से निकली | ||
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दया धर्म के गीत | दया धर्म के गीत | ||
यहाँ का जन जन गाता है | यहाँ का जन जन गाता है | ||
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दुनिया का | दुनिया का | ||
परहित माना है | परहित माना है | ||
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शांति दूत भारत को | शांति दूत भारत को | ||
जग में जाना जाता है | जग में जाना जाता है | ||
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21:50, 16 मार्च 2012 के समय का अवतरण
अपनी परिपाटी
वैसे तो हम
सत्य अहिंसा के अनुयायी हैं
पर नागों के दाँत
तोड़ना हमको आता है
युगों युगों से
यही रही है
अपनी परिपाटी
प्राण दिये पर
दिया न दुश्मन को
तिल भर माटी
सदाचार से
अपना बड़ा पुराना नाता है
वक्त पड़ा तो
हँस-हँस खायी
सीने पर गोली
मरते दम तक
मुंह से निकली
जय भारत बोली
दया धर्म के गीत
यहाँ का जन जन गाता है
औरों के दुख को
अपना दुख
हमने जाना है
सबसे बड़ा धर्म
दुनिया का
परहित माना है
शांति दूत भारत को
जग में जाना जाता है